मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

तुम्हारे लिए....

सीने में दर्द...
आंखों में तूफान है।
होठों पे चुप...
मौत का सामान है।
जब उनसे मिलने का कोई मकसद ही नहीं...
सांसों के गुजरने का कोई मतलब भी नहीं...
क्यूं दिखाया करती हो हंसी ख्वाब ये गिला है मुझको...
जिंदगी तेरे (सिवा) अलावा सभी कुछ तो मिला है मुझको...

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मसर्रत पर रिवाजों का सख्त पहरा है...
न जाने कौन सी उम्मीद पे दिल ठहरा है...
तेरी आंखों में झलकते हुए इस गम की कसम...
ऐ दोस्त! दर्द का रिश्ता बहुत ही गहरा है...

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न फरोगे-वाम की जुस्तजू...
ना जियाए-दर की तलाश है...
जो किसी की राह में खो गई है...
मुझे उस नजर की तलाश है....

तुझें पा सके कि न पा सकें...
ये नजर-नजर की तलाश है...
कहीं एक लम्हें की जुस्तजू...
कहीं उम्र भर की तलाश है...
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रूठ गया वसंत.....
क्यों रूठा हमसे बसंत...
हमने तो सुदूर नीलांबर के इंद्रधनुष में
प्यार के कुछ रंग भरने चाहे थे
जमाने की आंधी चली कुछ ऐसी
ज़िंदगी में हमेशा के लिए पतझड़ छा गया
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जीवन के सफ़र में राही
मिलते हैं बिछड़ जाने को
और दे जाते हैं यादें
तन्हाई में तड़पाने को.....
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माहताब तुम....
आफ़ताब तुम....
हर कोई पढ़ना चाहे
जिसे वो ख़ूबसूरत क़िताब तुम....
तुम्हारे हुस्न का अंदाज़,
तुम्हारे चेहरे की श़ोखी रहे बरक़रार,
बस यहीं है तमन्ना कि संवरता रहे तुम्हारा शबाब...
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और अब चलते-चलते...... छोड़ जाते है इस मैसेज के साथ....


"राह चलते कोई पागल कुत्ता तुम्हें काट ले,
तो क्या शरीर अपवित्र हो जाता है?
सिर्फ़ सच के सहारे ही ज़िंदगी नहीं काटी जा सकती है।
जीवन में व्यावहारिकता भी ज़रूरी है।
ऐसा सच किस काम का, जो ज़िंदगी में घुन लगा दे।"


मनोज कुमार दीक्षित/ सहारा 'समय'/ 9711011045

बुधवार, 6 जनवरी 2010

बीमार अस्पताल

मेरा एक परिचित बीमार था। उसने मुझे बुलाया और दूसरे दिन ऑफिस से समय निकालकर मैं उसे देखने गया तो वह काफी बीमार था। मैंने उसे किसी अच्छे अस्पताल में दिखाने के लिए कहा और साथ में ये भी कहा मैं उसे दिखाने ले चलता हूं। तभी मेरा एक दूसरा मित्र भी उसे देखने आ पहुंचा था। संयोग से उसकी पत्नी सफदरजंग अस्पताल में थी। उसने अपना सुझाव दिया कि सबसे अच्छा वहां दिखाया जा सकता है। मैंने कहा तेरा आइडिया भी बुरा नहीं है। मेरे बीमार दोस्त ने भी इस सुझाव का समर्थन किया। दूसरे दिन अपने बीमार मित्र को दिखाने के लिए अस्पताल पहुंचे तो वहां लंबी से लाइन लगी थी। इधर-उधर मरीजों की भारी भीड़ जमा थी। मरीजों के परिजन और मरीज भी इधर-उधर पड़े हुए थे। हमारे साथ मेरे मित्र की पत्नी थी इसलिए थोड़ा जल्दी नंबर आ गया। इसके बाद भाग-दौड़ का जो सिलसिला शुरू हुआ। उससे लगा कि मरीज ठीक बाद होगा पहले वह और ज्यादा बीमार हो जाएगा। कभी वहां  और कभी यहां, इतने ढेर सारे टेस्ट और जिसके लिए रेस शुरू हुई। प्राइवेट अस्पताल में पैसा जरुर लगता है लेकिन टाइम का कोई बाउडेंशन नहीं होता लेकिन यहां तो सुबह ग्यारह बजे तक टेस्ट होते है इसलिए इसके बाद दूसरे दिन पर मामला टाल दिया जाता है। दोस्त की खिदमत ऐसे ही एक हफ्ता गुजर गया लेकिन जो कष्ट उठाना पड़ा उससे पता चलता है कि हमारे सरकारी अस्पताल बीमार क्यों रहते है। 

सोमवार, 4 जनवरी 2010

तुझको क्या हुआ मेरे दोस्त.......

आकर मेरे पास...

थोड़ी देर बैठ जा.....

पता नहीं क्यों मुझको...

तेरी याद सताती...

पता नहीं तू मुझे याद करती है या नहीं....

पर मुझे तेरी याद आती है....। 

मेरी कहानी

बहुत भुलाया पर तुझे नहीं भूला पाया..... पता नहीं तुझमें ऐसा क्या था....

कि मैं तुझसे तमाम कोशिशों के बाद भी दूर नहीं जा पाया।

पता नहीं तुम मुझे फिर मिलोगी या नहीं....

लेकिन मैं इतना जानता हूं मैं तुझे सिर्फ तुझे प्यार करता हूं.....

माना कि मुझसे कई गल्तियां हुई है.....

पर ऐसी भी नहीं कि तू मुझसे दूर जाती....

कोई जब पूछता है मुझसे कि मैं इतना चुपचाप क्यों हूं...

तो मैं कहता हूं कि कोई है जो मेरे पास आकर के भी दूर चला गया

मुझे जब भी उसकी याद आती है तो मैं उदास हो जाता हूं...

क्यों कि मेरी खुशी मेरे पास आकर के भी मुझसे दूर चली गयी...।

मानता हूं सब कुछ नहीं मिलता है जिंदगी में ....

पर मुझे तो मिला भी और दूर भी चला गया...।

क्यो कोई और तरकीब नहीं है कि मैं उसके पास उड़कर चला जाऊं

याद आए और वो सामने आ जाए कैसे होगा ये सब...

मुझे नहीं पता पर मैं जानता हूं कि मैं सिर्फ और सिर्फ उसे प्यार करता हूं.... 

शनिवार, 14 जून 2008

ये सांझ मेरी असनाई में...

ये सांझ मेरी असनाई में कुछ यादें और सजा दे तू...
वो दूर रहे चाहे जितना मिलने की आस बंधा दे तू॥
दुख देख मेरे जग हंसता है...
मेरे भी होंठ मचलते है...
अंतर दोनों के हिलने में...
मुझकों भी हंसना सिखला दे तू...

लेबल:

खूबसूरत हो तुम इतनी.....

खूबसूरत हो तुम इतनी मानना पड़ेगा।
चांद को भी तुमसे हारना पड़ेगा।।
चांद के दीवाने होते हैं हजारों।
मुझे तो अपने चांद को छुपाना पड़ेगा।।