बीमार अस्पताल
मेरा एक परिचित बीमार था। उसने मुझे बुलाया और दूसरे दिन ऑफिस से समय निकालकर मैं उसे देखने गया तो वह काफी बीमार था। मैंने उसे किसी अच्छे अस्पताल में दिखाने के लिए कहा और साथ में ये भी कहा मैं उसे दिखाने ले चलता हूं। तभी मेरा एक दूसरा मित्र भी उसे देखने आ पहुंचा था। संयोग से उसकी पत्नी सफदरजंग अस्पताल में थी। उसने अपना सुझाव दिया कि सबसे अच्छा वहां दिखाया जा सकता है। मैंने कहा तेरा आइडिया भी बुरा नहीं है। मेरे बीमार दोस्त ने भी इस सुझाव का समर्थन किया। दूसरे दिन अपने बीमार मित्र को दिखाने के लिए अस्पताल पहुंचे तो वहां लंबी से लाइन लगी थी। इधर-उधर मरीजों की भारी भीड़ जमा थी। मरीजों के परिजन और मरीज भी इधर-उधर पड़े हुए थे। हमारे साथ मेरे मित्र की पत्नी थी इसलिए थोड़ा जल्दी नंबर आ गया। इसके बाद भाग-दौड़ का जो सिलसिला शुरू हुआ। उससे लगा कि मरीज ठीक बाद होगा पहले वह और ज्यादा बीमार हो जाएगा। कभी वहां और कभी यहां, इतने ढेर सारे टेस्ट और जिसके लिए रेस शुरू हुई। प्राइवेट अस्पताल में पैसा जरुर लगता है लेकिन टाइम का कोई बाउडेंशन नहीं होता लेकिन यहां तो सुबह ग्यारह बजे तक टेस्ट होते है इसलिए इसके बाद दूसरे दिन पर मामला टाल दिया जाता है। दोस्त की खिदमत ऐसे ही एक हफ्ता गुजर गया लेकिन जो कष्ट उठाना पड़ा उससे पता चलता है कि हमारे सरकारी अस्पताल बीमार क्यों रहते है।
