बुधवार, 6 जनवरी 2010

बीमार अस्पताल

मेरा एक परिचित बीमार था। उसने मुझे बुलाया और दूसरे दिन ऑफिस से समय निकालकर मैं उसे देखने गया तो वह काफी बीमार था। मैंने उसे किसी अच्छे अस्पताल में दिखाने के लिए कहा और साथ में ये भी कहा मैं उसे दिखाने ले चलता हूं। तभी मेरा एक दूसरा मित्र भी उसे देखने आ पहुंचा था। संयोग से उसकी पत्नी सफदरजंग अस्पताल में थी। उसने अपना सुझाव दिया कि सबसे अच्छा वहां दिखाया जा सकता है। मैंने कहा तेरा आइडिया भी बुरा नहीं है। मेरे बीमार दोस्त ने भी इस सुझाव का समर्थन किया। दूसरे दिन अपने बीमार मित्र को दिखाने के लिए अस्पताल पहुंचे तो वहां लंबी से लाइन लगी थी। इधर-उधर मरीजों की भारी भीड़ जमा थी। मरीजों के परिजन और मरीज भी इधर-उधर पड़े हुए थे। हमारे साथ मेरे मित्र की पत्नी थी इसलिए थोड़ा जल्दी नंबर आ गया। इसके बाद भाग-दौड़ का जो सिलसिला शुरू हुआ। उससे लगा कि मरीज ठीक बाद होगा पहले वह और ज्यादा बीमार हो जाएगा। कभी वहां  और कभी यहां, इतने ढेर सारे टेस्ट और जिसके लिए रेस शुरू हुई। प्राइवेट अस्पताल में पैसा जरुर लगता है लेकिन टाइम का कोई बाउडेंशन नहीं होता लेकिन यहां तो सुबह ग्यारह बजे तक टेस्ट होते है इसलिए इसके बाद दूसरे दिन पर मामला टाल दिया जाता है। दोस्त की खिदमत ऐसे ही एक हफ्ता गुजर गया लेकिन जो कष्ट उठाना पड़ा उससे पता चलता है कि हमारे सरकारी अस्पताल बीमार क्यों रहते है। 

सोमवार, 4 जनवरी 2010

तुझको क्या हुआ मेरे दोस्त.......

आकर मेरे पास...

थोड़ी देर बैठ जा.....

पता नहीं क्यों मुझको...

तेरी याद सताती...

पता नहीं तू मुझे याद करती है या नहीं....

पर मुझे तेरी याद आती है....। 

मेरी कहानी

बहुत भुलाया पर तुझे नहीं भूला पाया..... पता नहीं तुझमें ऐसा क्या था....

कि मैं तुझसे तमाम कोशिशों के बाद भी दूर नहीं जा पाया।

पता नहीं तुम मुझे फिर मिलोगी या नहीं....

लेकिन मैं इतना जानता हूं मैं तुझे सिर्फ तुझे प्यार करता हूं.....

माना कि मुझसे कई गल्तियां हुई है.....

पर ऐसी भी नहीं कि तू मुझसे दूर जाती....

कोई जब पूछता है मुझसे कि मैं इतना चुपचाप क्यों हूं...

तो मैं कहता हूं कि कोई है जो मेरे पास आकर के भी दूर चला गया

मुझे जब भी उसकी याद आती है तो मैं उदास हो जाता हूं...

क्यों कि मेरी खुशी मेरे पास आकर के भी मुझसे दूर चली गयी...।

मानता हूं सब कुछ नहीं मिलता है जिंदगी में ....

पर मुझे तो मिला भी और दूर भी चला गया...।

क्यो कोई और तरकीब नहीं है कि मैं उसके पास उड़कर चला जाऊं

याद आए और वो सामने आ जाए कैसे होगा ये सब...

मुझे नहीं पता पर मैं जानता हूं कि मैं सिर्फ और सिर्फ उसे प्यार करता हूं....